हिंदू धर्म में विवाह को 16 संस्कारों में से एक माना गया है। मनु स्मृति में विवाह के 8 प्रकार बताए गए हैं। यानी इन 8 तरीकों से विवाह हो सकता है। इनमें से असुर, राक्षस व पैशाच विवाह को अच्छा नहीं माना गया है। शेष 5 को ही धर्म के अनुकूल माना गया है। आज हम आपको इन 8 विवाहों के बारे में बता रहे हैं-
प्राचीन समय में इन 8 तरह से होती थी शादी
1. ब्रह्म विवाह – लड़का व लड़की के परिवार की सहमति से होने वाला विवाह ब्रह्म विवाह कहलाता है। वर्तमान समय में इसे अरेंज मैरिज कह सकते हैं।
2. दैव विवाह – किसी सेवा कार्य (विशेषतः धार्मिक अनुष्ठान) के मूल्य के रूप में अपनी कन्या को दान में दे देना दैव विवाह कहलाता है।
3. आर्श विवाह – लड़की वालों की गौदान (गाय का दान) करके विवाह करना आर्श विवाह कहलाता है। यह पहले ब्राह्मण परिवारों में होता था।
4. प्रजापत्य विवाह – लड़की से बिना पूछे उसका विवाह किसी संपन्न परिवार के वर से कर देना प्रजापत्य
विवाह कहलाता है।
विवाह कहलाता है।
5. गंधर्व विवाह – परिवार वालों की सहमति के बिना किया गया विवाह गंधर्व विवाह विवाह कहलाता है। इसे लव मैरिज कह सकते हैं।
6. असुर विवाह – लड़की को खरीदकर यानी पैसे, जमीन, गहने देकर विवाह करना असुर विवाह कहलाता है।
7. राक्षस विवाह – लड़की की सहमति के बिना उसका अपरहण करके जबरदस्ती विवाह कर लेना राक्षस विवाह कहलाता है।
8. पैशाच विवाह – बेहोशी या लाचारी की अवस्था में लड़की से संबंध बनाना और बाद में उससे विवाह करना पैशाच विवाह कहलाता है।
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