एक बच्चे के रूप में मनुष्य जब धरती पर जन्म लेता है तो उसे पिछले जन्म का कुछ भी याद नही रहता।वैज्ञानिकों ने इस विषय पर बहुत से शोध किये हैं, जिनसे काफी तथ्य निकलकर सामने आये हैं। वैज्ञानिकों के शोध और ग्रंथों के अनुसार, आज हम आपको बताते हैं कि ऐसे कौन से कारण होते हैं, जिनकी वजह से हमें पूर्व जन्म की बातें याद नही रहती।
वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिकों का मानना है की पिछले जन्म की बातों को याद न रख पाने के पीछे ऑसीटॉसिन नामक कैमिकल है। यह कैमिकल गर्भधारण के दौरान ही मां के गर्भ से निकल जाता है, लेकिन अगर यह तत्व मां के गर्भ से ही शिशु के साथ आ जाए तो उसे अपने पिछले जन्म की सभी बातें याद रहती हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है की पिछले जन्म की बातों को याद न रख पाने के पीछे ऑसीटॉसिन नामक कैमिकल है। यह कैमिकल गर्भधारण के दौरान ही मां के गर्भ से निकल जाता है, लेकिन अगर यह तत्व मां के गर्भ से ही शिशु के साथ आ जाए तो उसे अपने पिछले जन्म की सभी बातें याद रहती हैं।
मृत्यु का भय
अगर पिछले जन्म में हमारी मृत्यु किसी दुखद कारण की वजह से हुई है तो नए जन्म में उसको याद रखने से मनुष्य फिर दुःखी हो जाएगा और लगातार उसके दिमाग में पूर्व जन्म की बातें और अपने करीबियों का दुःख घूमता रहेगा।
अगर पिछले जन्म में हमारी मृत्यु किसी दुखद कारण की वजह से हुई है तो नए जन्म में उसको याद रखने से मनुष्य फिर दुःखी हो जाएगा और लगातार उसके दिमाग में पूर्व जन्म की बातें और अपने करीबियों का दुःख घूमता रहेगा।
इसलिए अंतिम संस्कार में करते है कपाल क्रिया
हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार के समय कपाल क्रिया भी इसलिए की जाती है। शव को मुखाग्नि देने के करीब आधे घंटे बाद जब शव की चमड़ी और मांस का ज्यादतर भाग जल चूका होता है, तब एक बांस में लोटा बांधकर शव के सिर वाले हिस्से में और घी डाला जाता है। जिससे की सिर का कोई हिस्सा जलने से न बचे। इसे कपाल क्रिया कहते हैं। माना जाता है कि अगर सिर या दिमाग का कोई हिस्सा जलने से रह जाए तो इंसान को अगले जन्म में पिछले जन्म की बातें याद रह जाती हैं।
हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार के समय कपाल क्रिया भी इसलिए की जाती है। शव को मुखाग्नि देने के करीब आधे घंटे बाद जब शव की चमड़ी और मांस का ज्यादतर भाग जल चूका होता है, तब एक बांस में लोटा बांधकर शव के सिर वाले हिस्से में और घी डाला जाता है। जिससे की सिर का कोई हिस्सा जलने से न बचे। इसे कपाल क्रिया कहते हैं। माना जाता है कि अगर सिर या दिमाग का कोई हिस्सा जलने से रह जाए तो इंसान को अगले जन्म में पिछले जन्म की बातें याद रह जाती हैं।
प्राकृतिक कारण
प्रकृति ने मनुष्य का दिमाग भूलने के लिए ही बनाया है। हम अक्सर समय के साथ बीती बातों को भूल जाते हैं यानी समय के साथ पुरानी बातों को भूलना और नई बातों को सोचना। अक्सर ज़िन्दगी में इंसान के साथ बुरी घटनाएं हो जाती हैं, जिन्हें वह भूल कर नई ज़िंदगी की शुरुआत करता हैं। अगर मनुष्य में भूलने की प्रवृति नहीं होगी तो एक नै शुरुआत करना उसके लिए असंभव होगा, इसलिये पूर्व जन्म की बातें याद रखना भी असंभव होता है।
प्रकृति ने मनुष्य का दिमाग भूलने के लिए ही बनाया है। हम अक्सर समय के साथ बीती बातों को भूल जाते हैं यानी समय के साथ पुरानी बातों को भूलना और नई बातों को सोचना। अक्सर ज़िन्दगी में इंसान के साथ बुरी घटनाएं हो जाती हैं, जिन्हें वह भूल कर नई ज़िंदगी की शुरुआत करता हैं। अगर मनुष्य में भूलने की प्रवृति नहीं होगी तो एक नै शुरुआत करना उसके लिए असंभव होगा, इसलिये पूर्व जन्म की बातें याद रखना भी असंभव होता है।
किसी विशेष शक्ति के कारण
कुछ लोगों को अपने पूर्वजन्म का बोध हो जाता है। जैसे कि उसका नाम क्या था, कहां रहता था, कौन थे माता-पिता आदि। ऐसा कई बार हुआ है लेकिन बहुत ही कम यह देखा जाता है। लेकिन इसमें भी कितनी सच्चाई है, कहा नहीं जा सकता।
कुछ लोगों को अपने पूर्वजन्म का बोध हो जाता है। जैसे कि उसका नाम क्या था, कहां रहता था, कौन थे माता-पिता आदि। ऐसा कई बार हुआ है लेकिन बहुत ही कम यह देखा जाता है। लेकिन इसमें भी कितनी सच्चाई है, कहा नहीं जा सकता।
कर्म और आत्मा
हमारे शास्त्रों में भी साफ़ कहा गया है कि कर्मों से ही उसका अगला जन्म सुधरता है। आत्मा के कर्म इंसान को उसके पिछले जन्म की और खींचते हैं। इसलिए अच्छा जीवन जीने वाले के लिये हमेशा यही बात कही जाती है कि जरूर इसने पिछले जन्म में कुछ अच्छे कर्म किए होंगे।
हमारे शास्त्रों में भी साफ़ कहा गया है कि कर्मों से ही उसका अगला जन्म सुधरता है। आत्मा के कर्म इंसान को उसके पिछले जन्म की और खींचते हैं। इसलिए अच्छा जीवन जीने वाले के लिये हमेशा यही बात कही जाती है कि जरूर इसने पिछले जन्म में कुछ अच्छे कर्म किए होंगे।
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