google-site-verification=NjzZlC7Fcg_KTCBLvYTlWhHm_miKusof8uIwdUbvX_U पौराणिक कथा: ये हैं भगवान श्री कृष्‍ण की 9 पटरान‌ियां, हर क‌िसी की अनोखी है कहान‌ियां

Monday, October 8, 2018

ये हैं भगवान श्री कृष्‍ण की 9 पटरान‌ियां, हर क‌िसी की अनोखी है कहान‌ियां

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भगवान श्री कृष्‍ण के बारे में कहा जाता है क‌ि इनकी सोलह हजार एक सौ आठ पत्न‌ियां थी। कारण यह है क‌ि नरकासुर के बंदी गृह में कैद हजारों राजकुमार‌ियों को जब श्री कृष्‍ण ने मुक्त कराया तो सभी ने श्री कृष्‍ण को अपना पत‌ि मान ल‌िया और श्री कृष्‍ण ने भी उन्हें अपनी पत्नी स्वीकार कर ल‌िया। इसल‌िए इनकी पत्न‌ियों की संख्या हजारों में है। लेक‌िन इनकी मुख्य रान‌ियां 9 थी जो पटरानी कहलाती थी। इन सभी रान‌ियों की अनोखी कहानी है तो आइये देखें क‌ि कैसे यह 9 कन्या बनी श्री कृष्‍ण की पटरानी।
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देवी राधा भगवान श्री कृष्‍ण की प्रेयसी बनी रही लेक‌िन श्री कृष्‍ण की प्रमुख पटरानी के रुप में सबसे पहले रुक्म‌िणी का नाम ल‌िया जाता है। यह व‌िदर्भ देश की राजकुमारी थी और मन ही मन भगवान श्री कृष्‍ण को पत‌ि मान चुकी थी। लेक‌िन इनके भाई रुक्मी इनका व‌िवाह चेदी नरेश श‌िशुपाल से करना चाहते थे। इसल‌िए रुक्म‌िणी के प्रेम पत्र को पढ़कर श्री कृष्‍ण ने रुक्म‌िणी का हरण कर ल‌िया और इनसे व‌िवाह क‌िया।


भगवान श्री कृष्‍ण की दूसरी पटरानी देवी काल‌िंदी मानी जाती है। यह भगवान सूर्य देव की पुत्री हैं। इन्‍होंने श्री कृष्‍ण को पत‌ि रुप में पाने के ल‌िए तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर श्री कृष्‍ण ने सूर्य से काल‌िंदी का हाथ मांगा था।

भगवान श्री कृष्‍ण की तीसरी पटरानी म‌ित्रवृंदा है। यह उज्जैन की राजकुमारी थी। भगवान श्री कृष्‍ण ने स्वयंवर में भाग लेकर म‌ित्रवृंदा को अपनी पत्‍नी बनाया था।

भगवान श्री कृष्‍ण की चौथी पटरानी का नाम सत्या है। काशी के राजा नग्नज‌ित् की पुत्री के व‌िवाह की शर्त थी क‌ि जो सात बैलों को एक साथ नथेगा वही सत्‍या का पत‌ि होगा। श्री कृष्‍ण ने स्वयंवर की इस शर्त को पूरा करके सत्‍य से व‌िवाह क‌िया था।

ऋक्षराज जाम्बवंत की पुत्री जामवती श्री कृष्‍ण की पांचवी पटरानी हैं। स्यमंतक मण‌ि को लेकर श्री कृष्‍ण और जामवंत के बीच युद्ध हुआ और जामवंत ने जाना क‌ि श्री कृष्‍ण उनके आराध्य श्री राम हैं। इसके बाद जामवंत ने जामवती का व‌िवाह श्री कृष्‍ण से कर द‌िया।

श्री कृष्‍ण की छठी पटरानी का नाम रोह‌िणी है। यह गय देश के राजा ऋतुसुकृत की पुत्री थी। कहीं कहीं इनका नाम कैकेयी और भद्रा भी म‌िलता है। रो‌ह‌िणी ने स्वंवर में श्री कृष्‍ण को स्वयं अपना पत‌ि चुना था।

भगवान श्री कृष्‍ण की सातवीं पटरानी सत्यभामा हैं। यह सत्राज‌ित की पुत्री थी। जब श्री कृष्‍ण ने सत्राज‌ित द्वारा लगाए गए प्रसेन की हत्या और स्यमंतक मण‌ि को चुराने का आरोप गलत साब‌ित कर द‌िया और स्यमंतक मण‌ि लौटा द‌िया तब सत्राज‌ित ने सत्यभामा का व‌िवाह श्री कृष्‍ण से कर द‌िया।

भगवान श्री कृष्‍ण की आठवीं पटरानी का नाम लक्ष्मणा है। इन्होंने स्वयंवर में भगवान श्री कृष्‍ण के गले में वरमाला पहनाकर उन्हें अपना पत‌ि चुना।

भगवान श्री कृष्‍ण की नौवीं पटरानी का नाम शैव्या है। राजा शैव्य की कन्या होने के कारण यह शैव्या कहलाती हैं हालांक‌ि इनका अन्य नाम गांधारी भी है।

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