अपने बालपन में भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र गोपालो और गोपियों के साथ अनेक शरारत करी एवं लीलाएं रची. खेल-खेल में हमेशा गोपिया भगवान श्री कृष्ण को उनके नील रंग के कारण चिढ़ाती थी जिस से नाराज होकर वे माता यशोदा से उनकी शिकायत करते थे. परन्तु क्या आप जानते है भगवान श्री कृष्ण को नीला रंग कैसे प्राप्त हुआ और क्यों उन्हें उनकी मूर्तियों एवं तस्वीरों में नीले शरीर के साथ दिखाया जाता है ?
पौराणिक कथाओ के अनुसार श्री कृष्ण के नीले रंग को प्राप्त करने के पीछे यह कहा जाता है की भगवान श्री विष्णु ने धरती में अवतरित होने से पूर्व देवकी के गर्भ में दो बाल निरुपित किये थे, जिनमे एक बाल का रंग नीला व दूसरा सफेद था तथा दोनों ही बाल माया के प्रभाव से चमत्कारिक रूप में रोहणी के गर्भ में स्थापित हो गए. सफेद रंग के बाल से बलराम का जन्म हुआ तथा नीले रंग के बाल से श्याम वर्ण के भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ .
शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्ण के नीले रंग के पीछे यह भी मान्यता है की प्रकृति द्वारा उसकी अधितकर रचना नीले रंग की है जैसे सागर तथा आकाश व इन सभी में धैर्य, साहस, समर्पण, त्याग व शीतलता जैसी भावनाएं देखी जा सकती है भगवान श्री कृष्ण भी इन्ही सर्वगुणों से सम्पन्न शांत और सहज स्वभाव के थे. बर्ह्म संहिता में भगवान श्री कृष्ण को नीले बदलो के साथ छमछमाते हुए कहा गया है.
वही अन्य मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का नीला रंग उनके मामा कंश द्वारा भेजी गई राक्षसी पूतना के विषपान से हुआ है. एक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण एक दिन अपने बड़े भाई बलराम और मित्रो के साथ गेंद से खेल रहे थे तभी कृष्ण के द्वारा वह गेंद यमुना नदी में जा गिरी. उस गेंद को नदी से निकालने के लिए कृष्ण ने यमुना नदी में छलांग लगा दी. यमुना नदी के अंदर कालिया नाग रहता था तथा वह इतना विषैला था की उस के प्रभाव से पुरे यमुना नदी का जल काला हो गया था. जब भगवान श्री कृष्ण गेंद लेकर यमुना नदी के ऊपर आ रहे थे तो बीच में ही कालिया नाग ने उन्हें देखकर उन पर हमला कर दिया. कलिया नाग को युद्ध में परास्त कर भगवान श्री कृष्ण गेंद तो वापस ले आये परन्तु कालिया नाग के विष के प्रभाव के कारण उनके शरीर का रंग नीला हो गया !
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