हमारे हिन्दू सनातन धर्म में महाभारत को 5 वें वैद की मान्यता दी गई है तथा इसमें हमारे जीवन से…
हमारे हिन्दू सनातन धर्म में महाभारत को 5 वें वैद की मान्यता दी गई है तथा इसमें हमारे जीवन से जुडी अनेक ऐसी शिक्षाप्रद बाते कहि गयी है जिसे कोई भी मनुष्य यदि आत्मसात करें तो यह उसके जीवनयापन को समान्य से उच्चकोटि का बना देगा.
क्या आप सच में महाभारत के बारे में जितना जानते हो उतना पर्याप्त है ? क्या महाभारत युद्ध के पश्चात समाप्त हो गई थी ?
महाभारत में छुपे अनेक ऐसे गूढ़ रहस्य है जिनके वास्तव में हम अभी तक पास भी नहीं पहुंचे है. आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे की महाभारत वास्त्व में युद्ध के बाद शुरू हुई थी तथा इससे जुड़े कुछ रहस्य आज हम आपको बताने जा रहे है जो शायद ही आपने पहले कभी सुने हो.
1 . महाभारत से जुड़े परमाणु शस्त्र एवं विमान :-
मोहन जोदड़ो की खुदाई में मिले कंकाल में रेडिएशन का असर मिला था, जिसे लोग महाभारत से जोड़ के देखते हैं. कहा जाता है कि महाभारत काल में परमाणु बम थे. महाभारत में सौप्तिक पर्व के अध्याय 13 से 15 तक ब्रह्मास्त्र के परिणाम बताए गए हैं. हिंदू इतिहास के जानकारों के मुताबिक 3 नवंबर 5561 ईसा-पूर्व अश्वत्थामा के ज़रिए छोड़ा हुआ ब्र्ह्मास्त्र बम ही था.
2 . 18 अंक का रहस्य :-
महाभारत का युद्ध 18 दिन तक चला था. महाभारत ग्रन्थ भी 18 अध्यायों में बटी हुई है. भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध से पूर्व 18 दिनों तक गीता का पवित्र उपदेश दिया था. गीता के भी 18 अध्याय है. कोरवो और पांडवो की सेना 18 अक्षोहनी की थी. तथा महाभारत जैसे भयंकर युद्ध में सिर्फ 18 योद्धा ही जीवित बच पाए थे. महाभारत के 18 अंक से अभी भी अनेको ऐसे राज शेष है जो रहस्य बने हुए है.
3 . राशियाँ नहीं थी ज्योतिष का आधार :-
महाभारत काल के दौरान ज्योतिष राशियों के आधार पर ज्योतिष नहीं बताया करते थे, क्योकि उस समय राशियाँ नहीं हुआ करती थी. ज्योतिष अपना कार्य ग्रह एवं नक्षत्र की स्थित दशा आदि के आधार पर किया करते थे.
4 .गांधरी के पुत्रों का रहस्य :-
धृतराष्ट्र और गांधारी के 99 पुत्र और एक पुत्री थी, जिन्हें कौरव कहा जाता था. कुरु वंश के होने के कारण ये कौरव कहलाए. लेकिन गांधारी के गर्भ धारण के दौरान धृतराष्ट्र ने एक दासी के साथ संबन्ध बनाए जिससे कौरवों की संख्य़ा 100 हुई थी. गांधारी ने वेदव्यास से पुत्री के लिए वरदान हासिल किया, मगर गांधारी के कोई भी बच्चा नहीं हुआ. गुस्से से भरी गांधारी ने अपने पेट पर जोर से मुक्का मार लिया जिससे उसका गर्भ गिर गया. जैसे ही वेदव्यास को इस बात का पता चला उन्होंने फ़ौरन गांधारी को 100 कुएं खुदवाने को कहा, जिसमें उन्होंने घी भरवा कर मर हुए बच्चे का अवशेष उसमे डाल दिया, जिससे कौरवों का जन्म हुआ था.
5 . प्रथम ”विश्व युद्ध” था महाभारत का युद्ध :-
महाभारत के युद्ध में सिर्फ भारत के ही बल्कि विदेशो के योद्धा भी शामिल थे. एक ओर जहाँ एवं देश के योद्धाओं ने इस युद्ध में भाग लिया था तो वही दूसरी ओर ग्रीक , रोमन, अमेरिका, मेसिडोनियन आदि योद्धाओं के लड़ाई में शामिल होने का प्रसंग आता है. इस आधार पर कहा जा सकता है की महाभारत का युद्ध का प्रथम विश्व युद्ध था.
6 . किस ने लिखी महाभारत :-
ज़्यादातर लोग यह जानते हैं कि महाभारत को वेदव्यास ने लिखा है लेकिन यह अधूरा सच है. वेदव्यास कोई नाम नहीं, बल्कि एक उपाधि थी, जो वेदों का ज्ञान रखने वाले लोगों को दी जाती थी. महाभारत की रचना 28वें वेदव्यास कृष्णद्वैपायन ने की थी, इससे पहले 27 वेदव्यास हो चुके थे.
7 . किसने किया था अभिमन्यु का वध :-
अधिकत्तर लोगो को यही पता है की अभिमन्यु का वध चक्रव्यूह के सात महारथियों ने किया था. परन्तु यह सच नहीं है क्योकि अभिमन्यु ने अपने पराक्रम एवं बहादुरी से लड़ते हुए चक्रव्यूह के सात महारथियों में से एक महारथी ( दुर्योधन का पुत्र ) को मार गिराया था. तथा बाद में जब अभिमन्यु निहत्था हो गया था तो दुःशासन ने उसकी हत्या कर दी थी.
8 .तीन चरणों में लिखी गई थी महाभारत :-
महाभारत एक किताब है लेकिन इसे तीन चरणों में लिखा गया था. पहले चरण में 8,800 श्लोक, दूसरे चरण में 24,000 और तीसरे चरण में 1,00,000 श्लोक लिखे गए थे. वेदव्यास की महाभारत के अलावा भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इस्टीट्यूड. पुणे के संस्कृत भाषा में लिखी गई महाभारत अधिक प्रमाणिक मानी जाती है.
9 . अश्वथामा :-
अश्वथामा को भगवान श्री कृष्ण द्वारा अमरता का श्राप प्राप्त था. अश्वथामा द्वारा प्रयोग में लाये ब्र्ह्मास्त्र के प्रभाव मात्र से अनेको व्यक्ति की मृत्यु हुई थी जिस कारण भगवान श्री कृष्ण क्रोधित हो गये एवं अश्वथामा को श्राप देते हुए बोले की तो इतने पापो का बोझ ढोते हुए तीन हजार वर्ष तक निर्जन स्थानों में भटकते रहेगा. तेरे शरीर से रक्त की दुर्गन्ध आएगी. तू अनेको बीमारियों से पीड़ित रहेगा. आज भी अनेको निर्जन स्थानों में अश्व्थामा को देखे जाने की बात कहि गई है परन्तु इस बात में कितनी सच्चाई है यह कोई नहीं जानता.
10 बर्बरीक :-
महान योद्धा बर्बरीक भीम का पौत्र था. उसने यह प्रतिज्ञा ले रखी थी की वह महाभारत में हारते हुए पक्ष की तरफ से युद्ध लड़ेगा. बर्बरीक में इतना सामर्थ्य था की वह केवल अपने तीन बाणों से ही पुरे महाभारत के युद्ध को समाप्त कर सकता था. परन्तु भगवान श्री कृष्ण ने अपने माया से उसे महाभारत के युद्ध में जाने से रोक दिया तथा ब्राह्मण रूप में दान में बर्बरीक से उसका सर मांग लिया. परन्तु बाद में वरदान स्वरूप भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे हुए सर को अमृत से नहला दिया तथा उसे किसी उच्चे स्थान में रख दिया. उसी उच्चे स्थान से बर्बरीक ने महाभारत का सम्पूर्ण युद्ध देखा.
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