google-site-verification=NjzZlC7Fcg_KTCBLvYTlWhHm_miKusof8uIwdUbvX_U पौराणिक कथा: कैसी प्रकट हुईं मां धूमावती, जानिए यह अत्यंत विचित्र कथा

Saturday, August 10, 2019

कैसी प्रकट हुईं मां धूमावती, जानिए यह अत्यंत विचित्र कथा


मां धूमावती के प्राकट्य से संबंधित कथाएं अनूठी हैं। पहली कहानी तो यह है कि जब सती ने पिता के यज्ञ में स्वेच्छा से स्वयं को जला कर भस्म कर दिया तो उनके जलते हुए शरीर से जो धुआं निकला, उससे धूमावती का जन्म हुआ। इसीलिए वे हमेशा उदास रहती हैं। यानी धूमावती धुएं के रूप में सती का भौतिक स्वरूप है। सती का जो कुछ बचा रहा- उदास धुआं।

दूसरी कहानी यह है कि एक बार सती शिव के साथ हिमालय में विचरण कर रही थी। तभी उन्हें ज़ोरों की भूख लगी। उन्होंने शिव से कहा-'मुझे भूख लगी है' मेरे लिए भोजन का प्रबंध करें' शिव ने कहा-'अभी कोई प्रबंध नहीं हो सकता' तब सती ने कहा-'ठीक है, मैं तुम्हें ही खा जाती हूं। और वे शिव को ही निगल गईं। शिव तो स्वयं इस जगत के सर्जक हैं, परिपालक हैं। ले‍किन देवी की लीला में वे भी शामिल हो गए।

भगवान शिव ने उनसे अनुरोध किया कि 'मुझे बाहर निकालो', तो उन्होंने उगल कर उन्हें बाहर निकाल दिया... निकालने के बाद शिव ने उन्हें शाप दिया कि ‘ आज और अभी से तुम विधवा रूप में रहोगी....

तभी से वे विधवा हैं। पुराणों में अभिशप्त, परित्यक्त, भूख लगना और पति को निगल जाना ये सब सांकेतिक प्रकरण हैं। यह इंसान की कामनाओं का प्रतीक है, जो कभी ख़त्म नहीं होती और इसलिए वह हमेशा असंतुष्ट रहता है। मां धूमावती उन कामनाओं को खा जाने यानी नष्ट करने की ओर इशारा करती हैं।
विशेष : कुछ लोगों का मानना है गृहस्थ लोगों को देवी की साधना नहीं करनी चाहिए।

इन महाविद्या का स्थायी आह्वाहन नहीं होता अर्थात इन्हे लंबे समय तक घर में स्थापित या विराजमान होने की कामना नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये दुःख, क्लेश और दरिद्रता की देवी हैं। जप शुरू करने से पहले आवाहन करें और ख़त्म होने पर विसर्जन कर दें।

No comments:

Post a Comment

भगवान श्रीकृष्ण की माखनचोरी लीला

ब्रज घर-घर प्रगटी यह बात। दधि माखन चोरी करि लै हरि, ग्वाल सखा सँग खात।। ब्रज-बनिता यह सुनि मन हरषित, सदन हमारैं आवैं। माखन खात अचानक...