शास्त्रों में कुबेर को धन का देवता कहा गया है। कहते हैं कि पूर्व जन्म में कुबेर भगवान गुननिधि नमक वेदज्ञ ब्राह्मण थे। इन्हें शास्त्रों का पूरा ज्ञान नहीं था। गुणनिधि प्रतिदिन, देव-वंदन, पितृ पूजा और अतिथि सेवा नियमित रूप से करते था। साथ ही गुणनिधि स्वामी, प्राणियों के प्रति दया, सेवा और मित्रता का भाव रखते थे। गुणनिधि बड़े ही धर्मात्मा थे। परंतु क्या आप जानते हैं कि धन के देवता भगवान कुबेर का जन्म कैसे हुआ? यदि नहीं तो आगे इसे जानिए।
धन के देवता कुबेर के बारे में शास्त्रों में ऐसा वर्णन आया है कि ये धर्म-कर्म में बहुत अधिक विश्वास रखने वाले थे। परंतु खराब संगति में पड़कर धीरे-धीरे मतिभ्रम के कारण गुणनिधि के सारे अच्छे गुण अवगुणों में परिवर्तित हो गए। गुणनिधि के इस अवगुण को उनकी माता अच्छी प्रकार से जानती थीं।
परंतु उन्होंने पुत्र मोह के कारण यह बात अपने पति को नहीं बताई। जिसके कारण गुणनिधि ने अपनी सारी पैतृक संपत्ति का नाश कर दिया। एक दिन किसी प्रकार गुणनिधि के पिता उसके दुष्कर्मों का पता चला और उन्होंने गुणनिधि की माता से अपनी संपत्ति और गुणनिधि के बारे में जानकारी चाहा।
गुणनिधि के कर्मों से निराश होकर उनके पिता क्रोध में आकार घर छोड़कर वन में चले गए। इधर गुणनिधि भी पिता के डर से जंगल में चले गए। वन में इधर-उधर भटकने के बाद शाम के समय एक शिव मंदिर देखा। कहते हैं कि उस दिन शिवरात्रि थी। इसलिए शिव मंदिर में शिव भक्त शिवरात्रि की पूजा कर रहे थे। घर से भागने और वन में भटकने के कारण गुणनिधि भूख-प्यास से परेशान था। मंदिर में प्रसाद आदि को देखकर गुणनिधि की भूख बढ़ गई। और गुणनिधि वहीं पास में छुपकर बैठ गया। रात्रि काल में शिव भक्तों को नींद आने पर प्रसाद चुराकर खाता।
रात में जब सभी भक्त मंदिर से चले गए तो गुणनिधि ने एक कपड़े की बत्ती जलाकर फल-पकवान को लेकर भाग ही रहे थे कि उनका पैर एक सोए हुए पुजारी ने पकड़ लिया और उसके ऊपर बाण चलाया जिससे गुणनिधि के प्राण निकल गए। इसके बाद यमदूत जब गुणनिधि को लेकर जाने लगे लगे तो भगवान शंकर की आज्ञा से उनके गणों ने वहां पहुंचकर गुण निधि को यमदूत से छीन लिया। साथ ही उसे लेकर शिवलोग में आ गए। जहां शिव गुणनिधि की भक्ति से प्रसन्न हो गए।
जिसके बाद गुणनिधि कुबेर के नाम से प्रसिद्ध हुए। शास्त्र-पुराणों में कुबेर के पिता विश्रवा और पितामह प्रजापति पुलत्स्य होने का उल्लेख मिलता है। कुबेर की माता भारद्वाज ऋषि की कन्या इडविहा है।
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