google-site-verification=NjzZlC7Fcg_KTCBLvYTlWhHm_miKusof8uIwdUbvX_U पौराणिक कथा: निषादराज गुह्य कौन थे, पढ़ें प्रभु श्री राम के प्रिय सखा केवट की पौराणिक गाथा

Saturday, August 10, 2019

निषादराज गुह्य कौन थे, पढ़ें प्रभु श्री राम के प्रिय सखा केवट की पौराणिक गाथा



भगवान श्री राम के प्रिय सखा निषाद राज की जयंती पर केवट समाज द्वारा बड़े ही भव्य रूप से शोभा यात्रा निकाली जाती है तथा प्रसाद वितरण किया जाता है।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार केवट भोईवंश का था तथा मल्लाह का काम करता था। केवट रामायण का एक खास पात्र है, जिसने प्रभु श्री राम को वनवास के दौरान माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपने नाव में बिठा कर गंगा पार करवाया था।

निषादराज केवट का वर्णन रामायण के अयोध्याकांड में किया गया है।

राम केवट को आवाज देते हैं- नाव किनारे ले आओ, पार जाना है।

मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥
चरन कमल रज कहुं सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई॥

- श्री राम ने केवट से नाव मांगी, पर वह लाता नहीं है। वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म जान लिया। तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है। वह कहता है कि पहले पांव धुलवाओ, फिर नाव पर चढ़ाऊंगा।

केवट प्रभु श्री राम का अनन्य भक्त था। अयोध्या के राजकुमार केवट जैसे सामान्यजन का निहोरा कर रहे हैं। यह समाज की व्यवस्था की अद्भुत घटना है। केवट चाहता है कि वह अयोध्या के राजकुमार को छुए। उनका सान्निध्य प्राप्त करें। उनके साथ नाव में बैठकर अपना खोया हुआ सामाजिक अधिकार प्राप्त करें। अपने संपूर्ण जीवन की मजूरी का फल पा जाए।

राम वह सब करते हैं, जैसा केवट चाहता है। उसके श्रम को पूरा मान-सम्मान देते हैं। केवट राम राज्य का प्रथम नागरिक बन जाता है।

राम त्रेता युग की संपूर्ण समाज व्यवस्था के केंद्र में हैं, इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं है। उसके स्थान को समाज में ऊंचा करते हैं। राम की संघर्ष और विजय यात्रा में उसके दाय को बड़प्पन देते हैं। त्रेता के संपूर्ण समाज में केवट की प्रतिष्ठा करते हैं।

No comments:

Post a Comment

भगवान श्रीकृष्ण की माखनचोरी लीला

ब्रज घर-घर प्रगटी यह बात। दधि माखन चोरी करि लै हरि, ग्वाल सखा सँग खात।। ब्रज-बनिता यह सुनि मन हरषित, सदन हमारैं आवैं। माखन खात अचानक...