पढ़िए गिलहरी की शरीर पर दिखने वाली धारियों के पीछे की पूरी कहानी, रामायण (Ramayan) के इस अंश से!
यह कहानी तब की है जब भगवान् राम (Ram) माँ सीता को दुष्ट रावण (Ravan) के चंगुल से छुड़ाने के लिए लंका तक जाने के लिए एक पुल का निर्माण कर रहे थे| माँ सीता तक पहुँचने वाले इस पुल के निर्माण में महाबली हनुमान और उनकी पूरी वानर सेना लगी थी| महावीर हनुमान और उनकी पूरी वानर सेना बड़े-बड़े पत्थरों पर “श्री राम” लिखकर पुल का निर्माण कर रही थी| तभी भगवान् राम की नज़र एक गिलहरी पर पड़ी, जो पहले समुद्र किनारे पड़ी धुल पर लोट कर धुल अपने शरीर पर चिपका लेती और फिर पुल पर आकर झिटक देती| वह लगातार इस काम को करती जा रही थी| काफी देर तक उस गिलहरी को ऐसा करते देख भगवान् राम उस गिलहरी के पास गए और गिलहरी को प्यार से अपने हाथों से उठा कर बोले- यह तुम क्या कर रही हो|
गिलहरी ने भगवान् राम को प्रणाम किया और बोली- महाबली हनुमान और उनकी पूरी सेना बड़े-बड़े पत्थरों से इस पुल का निर्माण कर रही हैं, लेकिन में छोटी सी गिलहरी यह सब नहीं कर सकती इसिलिए मुझसे जितना बन पड रहा है में वो कर रही हूँ में भी इस काम मे अपना छोटा सा योगदान देना चाहती हूँ| भगवान् राम गिलहरी के इस भाव से बहुत ज्यादा प्रसन्न हुए और गिलहरी की पीठ पर प्यार से हाथ फेरने लगे कहा जाता है की उस निस्वार्थ प्रेम में इतनी ताकत थी की गिलहरी की पीठ पर आज तक भगवान् राम की धरियों के निशान है|
कहानी का तर्क यही है, कि किसी भी काम में हमारा योगदान चाहे छोटा सा हो लकिन निस्वार्थ भाव से किया गया काम हमेशा बड़े परिणाम लेकर आता है
amazing information sir ji
ReplyDeleteखंजन पक्षी