मत्स्य पुराण एक बेहद विस्तृत पुराण
है। यह एक विशेष वैष्णव पुराण है जो भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की कथा और उनके
कार्यों पर आधारित है। इस पवित्र पुराण में भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की
प्रमुख कथा, तथा तीर्थ, व्रत, तप, दान आदि का विस्तार पूरक वर्णन किया गया है।
मत्स्य पुराण के खण्ड व वर्णन (Parts
& Characteristics of Matasya Puran in Hindi)
मत्स्य पुराण में चौदह हजार श्लोक
लिखे हुए हैं। मत्स्य पुराण में असुरों की उत्पत्ति, मरुद्गण का प्रादुर्भाव,
लोकपाल पूजन, पितृवंश का वर्णन, सोमवंश कथा, संक्रांति स्नान, शिव-गौरी प्रसंग,
अंधकासुर वध, गौ दान, मृगचर्म दान, सावित्री कथा, आदि प्रसंगों का विस्तृत वर्णन
किया गया है।
मत्स्य पुराण का फल (Benefits of
Matasya Puran in Hindi)
मत्स्य पुराण का पाठ और श्रवण करने
से मनुष्य के कल्याण, कीर्ति व आयु में वृद्धि होती है। नारदपुराण के अनुसार जो
मनुष्य इस पुराण को लिखकर सुवर्णमय मत्स्य और गौ के साथ विषुप योग में ब्राह्मण को
सत्कार पूर्वक दान करता है, वह परम पद प्राप्त करता है।
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