उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ,
केदारनाथ, गंगोत्री तथा यमुनोत्री को “छोटा चार धाम” कहा जाता है। इन चारों
धार्मिक स्थलों की अलग-अलग मान्यताएं हैं। यह चार धाम एक ही राज्य में होने के
कारण भक्तों के लिए सुगम माने जाते हैं। माता दुर्गा और शिवजी से संबद्ध रखने वाले
पर इन धार्मिक स्थलों को हिंदू श्रद्धालु पवित्र मानते हैं।
मान्यता है कि चार धामों की पवित्र यात्रा व दर्शन करने से सभी पापों का नाश होता है। साथ ही मनुष्य जीवन-मृत्यु के बंधनों से मुक्त हो जाता है। छोटा चार धाम की यात्रा के दौरान सबसे पहले यमुनोत्री (यमुना) व गंगोत्री (गंगा) के दर्शन करते है तथा पवित्र जल लेकर केदारेश्वर का अभिषेक करते हैं।
यमुनोत्री (Yamunotri)
मान्यता है कि चार धामों की पवित्र यात्रा व दर्शन करने से सभी पापों का नाश होता है। साथ ही मनुष्य जीवन-मृत्यु के बंधनों से मुक्त हो जाता है। छोटा चार धाम की यात्रा के दौरान सबसे पहले यमुनोत्री (यमुना) व गंगोत्री (गंगा) के दर्शन करते है तथा पवित्र जल लेकर केदारेश्वर का अभिषेक करते हैं।
यमुनोत्री (Yamunotri)
यमुनोत्री उत्तराखंड के बेहद प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। यह छोटा चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है। मान्यता है कि यमुना सूर्य की पुत्री और यम उनका पुत्र है। कहा जाता है कि यमुना में स्नान किए लोगों के साथ यमराज सख्ती नहीं बरतते। यमराज को मौत का देवता माना जाता है। यमुना में स्नान करने से मृत्यु का भय दूर हो जाता है।
मंदिर के पास गरम पानी के कई सोते है, जिसमें सूर्य कुंड अत्यधिक प्रसिद्ध है। श्रद्धालु इस कुंड के गरम पानी में आलू व चावल पका कर प्रसाद के तौर पर घर ले जाते हैं।
गंगोत्री
(Gangotri)
मान्यता है कि पवित्र गंगा नदी
सर्वप्रथम गंगोत्री में ही अवतरित हुई थीं। गंगोत्री को गंगा का उद्गम स्थल माना
जाता है। केदारखंड की तीर्थ यात्रा में यमुनोत्री की यात्रा के बाद गंगोत्री की
यात्रा का विधान है। यहाँ गंगा मंदिर (शंकराचार्य द्वारा स्थापित प्रतिमा),
सूर्यकुण्ड, विष्णुकुंड, ब्रह्मकुण्ड आदि पवित्र स्थल हैं। गंगोत्री को
मोक्षदायिनी भूमि माना जाता है। गंगा सप्तमी, अक्षय तृतीया और यम तृतीया के दिन
यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
केदारनाथ (Kedarnath)
केदारनाथ (Kedarnath)
यमुनोत्री के पवित्र जल से केदारनाथ के ज्योतिर्लिंगों का अभिषेक करना शुभ माना जाता है। वायुपुराण के अनुसार मानव जाति के कल्याण के लिए भगवान नारायण (विष्णु) बद्रीनाथ में अवतरित हुए। बद्रीनाथ में पहले भगवान शिव का वास था, किन्तु जगतपालक नारायण के लिए शिव बद्रीनाथ छोड़ कर केदारनाथ चले गए। भगवान शिव द्वारा किए त्याग के कारण केदारनाथ को अहम प्राथमिकता दी जाती है।
केदारनाथ में भगवान शिव के साथ भगवान गणेश, पार्वती, विष्णु और लक्ष्मी, कृष्ण, कुंती, द्रौपदी, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव की पूजा अर्चना भी की जाती है।
बद्रीनाथ (Badrinath)
गंगा नदी के तट पर स्थित बद्रीनाथ तीर्थस्थान समुद्र से 3050 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय में है, जो नर और नारायण पर्वत (अलकनंदा नदी के बाएँ तट पर स्थित) के बीच स्थित है। बद्रीनाथ का नामकरण यहाँ की जंगली बेरी बद्री के नाम पर किया गया है। बद्रीनाथ मंदिर में अचल ज्ञानज्योति का प्रतीक कहे जाने वाली अखंड-ज्योत हमेशा जलती रहती है।
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