भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित
कालका जी मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर और देवीपीठ माना जाता है।
यह मंदिर एक छोटी-सी पहाड़ी
पर स्थित है। माना जाता है कि यह मंदिर करीब 3000 वर्ष पुराना है।
कालका जी का मंदिर
(Kalkaji Mandir, Delhi) देवी के प्रसिद्ध सिद्ध पीठों में से एक है, और मां काली
को
समर्पित है। इसे "मनोकामना सिद्ध पीठ" के नाम से भी जाना जाता है। लोगों
के बीच मां काली की
उत्पत्ति से संबंधित कई कथाएं प्रचलित हैं।
मां कालका जी से संबंधित एक कथा
(History of Kalka Ji Mandir)
एक कथा के अनुसार शुंभ-निशुंभ और
रक्तबीज राक्षसों के अत्याचार से परेशान होकर सभी देवताओं ने शिव जी की आराधना की।
तब शिव जी ने माता पार्वती को असुरों का वध करने को कहा। इसके पश्चात देवी पार्वती
दुर्गा का रूप लेकर युद्ध क्षेत्र में पहुंची।
जब मां दुर्गा युद्ध क्षेत्र में
पहुंची तो वहां दैत्य चंड-मुंड देवताओं से युद्ध कर रहे थे। तब मां दुर्गा ने
देवताओं को बचाते हुए चंड-मुंड का वध कर दिया। यह सुनकर शुंभ-निशुंभ ने देवी का वध
करने के लिए अपनी असूरी सेना भेजी परंतु देवी ने उनका भी वध कर दिया।
अपनी सेनाओं की मृत्यु की बात सुनकर
दैत्य शुंभ- निशुंभ बहुत क्रोधित हुए तथा अपनी असुरी सेना लेकर युद्ध क्षेत्र की
ओर चल पड़े। देवी ने जब शुंभ- निशुंभ को सेना की के साथ अपनी ओर आते हुए देखा तो,
उन्होंने एक तीर चलाया तथा उनकी सभी सेनाओं को क्षण भर में नष्ट कर दिया और रक्त
बीज का वध करने के लिए आगे बढ़ीं।
रक्तबीज का वध करने के बाद जैसे ही उसके शरीर का रक्त पृथ्वी पर गिरता उससे कई और रक्तबीज उत्पन्न हो जाते थे। इसको देख पार्वती ने अपनी भृकुटी से काली को प्रकट किया, जिन्हें महाकाली कहा गया। महाकाली न अन्य दैत्यों के साथ रक्तबीज का भी वध किया।
रक्तबीज का वध करने के बाद जैसे ही उसके शरीर का रक्त पृथ्वी पर गिरता उससे कई और रक्तबीज उत्पन्न हो जाते थे। इसको देख पार्वती ने अपनी भृकुटी से काली को प्रकट किया, जिन्हें महाकाली कहा गया। महाकाली न अन्य दैत्यों के साथ रक्तबीज का भी वध किया।
रक्तबीज के वध के बाद भी मां काली का
क्रोध शांत नहीं हुआ। तब मां काली के गुस्से को शांत करने के लिए स्वयं शिव जी
उनके रास्ते में लेट गए और काली मां का पैर उनके सीने पर पड़ गया तथा उनका गुस्सा
शांत हो गया।
कालका जी मंदिर (Kalkaji Mandir,
Delhi)
मान्यता है कि जहां आज कालका जी मंदिर स्थापित है वहीं वर्षों पूर्व राक्षसों के अंत के लिए मां काली की उत्पत्ति हुई थी। देवताओं की प्रार्थना पर मां काली ने कहा था कि “जो भी मेरी पूजा श्रद्धाभाव से करेगा मैं उसकी सभी मुरादें पूरी करूंगी।
मान्यता है कि जहां आज कालका जी मंदिर स्थापित है वहीं वर्षों पूर्व राक्षसों के अंत के लिए मां काली की उत्पत्ति हुई थी। देवताओं की प्रार्थना पर मां काली ने कहा था कि “जो भी मेरी पूजा श्रद्धाभाव से करेगा मैं उसकी सभी मुरादें पूरी करूंगी।
कालका जी मंदिर विशेषता (Importance
of Kalkaji Mandir, Delhi)
हिन्दू ग्रंथों के अनुसार महाभारत
काल में युद्ध से पूर्व पांडवों ने मां कालका जी की पूजा की थी तथा उन्हें मां से
युद्ध विजय का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था। मां कालका की आराधना करने पर सभी रोगों का
नाश होता है तथा जीवन में सुख-समृद्धि आती है। नवरात्र के दिनों में इनकी पूजा
करना करना अधिक फलदायी होता है।
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