गुरु अमरदास का जन्म (Details of Guru Amardas Ji)
गुरु अमरदास जी का जन्म 1479 में हुआ
था। गुरु अंगद जी ने अमरदास साहिब को सन् 1552 में तीसरे गुरु की उपाधि सौंपी। सिख
धर्म में लंगर की परंपरा की शुरुआत गुरु अमरदास जी ने ही की थी। मुगल काल में इनका
बहुत अधिक महत्व था। कहा जाता है कि अकबर खुद इनसे कई मुद्दों पर सलाह लेते थे
गुरु अमरदास साहिब के कार्य (Works
of Guru Amardas Sahib)
गुरु अमरदास साहिब जी के कुछ विशेष
कार्य निम्न हैं:
* गुरु अमरदास जी ने अपने से पहले दो
गुरुओं के उपदेशों और संगीतों को लोगों तक पहुंचाने का काम किया।
* “आनन्द साहिब” जिसे परमानन्द का गीत कहते हैं, का लेखन गुरु अमरदास जी ने ही किया था।
* उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान लंगरों के आयोजन को विशेष महत्व दिया।
* गुरु अमरदास जी ने जाति भेदभाव को खत्म करके अपने अनुयायियों के बीच सामाजिक सद्भावना के बीज बोए।
* साथ ही उन्होंने मंजी और पिरी जैसे धार्मिक कार्यों की शुरूआत की।
* महिलाओं और पुरुषों की शिक्षा व्यवस्था पर गुरु अमरदास जी ने विशेष जोर दिया था।
* गुरु अमरदास साहिब ने ही बादशाह अकबर से कहकर सिखों और हिंदुओं को उनपर लगने वाले इस्लामिक जज़िया कर से निजात दिलवाई थी।
* “आनन्द साहिब” जिसे परमानन्द का गीत कहते हैं, का लेखन गुरु अमरदास जी ने ही किया था।
* उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान लंगरों के आयोजन को विशेष महत्व दिया।
* गुरु अमरदास जी ने जाति भेदभाव को खत्म करके अपने अनुयायियों के बीच सामाजिक सद्भावना के बीज बोए।
* साथ ही उन्होंने मंजी और पिरी जैसे धार्मिक कार्यों की शुरूआत की।
* महिलाओं और पुरुषों की शिक्षा व्यवस्था पर गुरु अमरदास जी ने विशेष जोर दिया था।
* गुरु अमरदास साहिब ने ही बादशाह अकबर से कहकर सिखों और हिंदुओं को उनपर लगने वाले इस्लामिक जज़िया कर से निजात दिलवाई थी।
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