श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
वाराणसी (Kashi Vishwanath Temple, Varanasi) जनपद के काशी
नगर में अवस्थित है। कहते
है, काशी तीनों लोकों में न्यारी नगरी है, जो भोले बाबा के त्रिशूल पर
विराजती है।
इस मंदिर को कई बार बनाया गया। नवीनतम संरचना जो आज यहां दिखाई देती है वह
18वीं शताब्दी
में बनी थी। कहा जाता है कि एक बार इंदौर की रानी अहिल्या बाई होलकर के स्वप्न में
भगवान शिव आए। वे भगवान शिव की भक्त थीं। इसलिए उन्होंने 1777 में यह मंदिर निर्मित
कराया।
काशी विश्वनाथ की महिमा (History of
Kashi Vishwanath Temple)
काशी भगवान शिव की प्रिय नगरी है।
"हर हर महादेव घर-घर महादेव" का जयघोष" काशी के लिए ही किया जाता
है। काशी में भगवान शिव विश्वेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग में निवास करते हैं। कहते
हैं भगवान शिव के मन में एक बार एक से दो हो जाने की इच्छा जागृत हुई। उन्होंने
खुद को रूपों में विभक्त कर लिया। एक शिव कहलाए और दूसरे शक्ति। लेकिन इस रूप में
अपने माता-पिता को ना पाकर वह बेहद दुखी थे। उस समय आकाशवाणी ने उन्हें तपस्या
करने की सलाह दी। तपस्या हेतु भगवान शिव ने अपने हाथों से पांच कोस लंबे भूभाग पर
काशी का निर्माण किया। और यहां विश्वेश्वर के रूप में विराजमान हुए।
मान्यता (Importance of Kashi
Vishwanath Temple)
शिव पुराण के अनुसार रोग ग्रस्त
स्त्री या पुरुष, युवा हो या प्रौढ़, मोक्ष की प्राप्ति के लिए यहां जीवन में एक
बार अवश्य आता है। ऐसा मानते हैं कि यहां पर आने वाला हर श्रद्धालु भगवान विश्वनाथ
को अपनी इच्छा समर्पित करता है। काशी क्षेत्र में मरने वाले किसी भी प्राणी को
निश्चित ही मुक्ति प्राप्त होती है। कहते हैं जब कोई यहां मर रहा होता है उस समय
भगवान श्री विश्वनाथ उसके कानों में तारक मंत्र का उपदेश देते हैं जिससे वह आवागमन
के चक्कर से अर्थात इस संसार से मुक्त हो जाता है।
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