कन्याकुमारी मन्दिर तमिलनाडु के
कन्याकुमारी शहर में समुद्र तट पर स्थित हिन्दुओं का एक पवित्र
तीर्थस्थल है। इसे कुमारी
अम्मन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां मां भगवती की पूजा एक
कुंवारी कन्या के
रूप में की जाती है तथा इन्हें पार्वती का अवतार माना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है।
कन्याकुमारी मन्दिर से जुड़ी एक
प्रसिद्ध कथा
कथा के अनुसार बानासुर नामक के
राक्षस को शिव जी का वरदान प्राप्त था की उसका वध केवल एक कुंवारी कन्या ही कर
सकती है। प्राचीन काल के राजा भरत के माता पार्वती ने कन्या के रूप में जन्म
लिया।
जब वह कन्या बड़ी हुई तो, वह शिव जी
के अलाव किसी अन्य व्यक्ति से विवाह नहीं करना चाहती थी। राजा भरत ने अपनी पुत्री
को रहने के लिए अपने राज्य के दक्षिण में स्थान दिया। एक दिन बानसुर घूमता हुआ, उस
कन्या के पास पहुंच गया।
कन्या की सुंदरता पर मुग्ध होकर
बानासुर ने उसके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा। तब उस कन्या ने राक्षस से युद्ध की
शर्त रखी और कहा की यदि वह युद्ध में विजयी हो गया तो वह उससे विवाह कर
लेगी।
इसके पश्चात कन्या और राक्षस के बीच
घमासान युद्ध हुआ तथा बानासुर मारा गया। उसके बाद कन्या ने कुंवारी ही रहने का
फैसला ले लिया। माना जाता है कि कन्या और शिव से विवाह के लिए जितना भी अनाज एकत्र
किया था, वह बाद में पत्थर बन गया। इस पत्थर को हम आज भी कन्याकुमारी में देख और
खरीद सकते हैं।
कन्याकुमारी मन्दिर की मान्यता
कन्याकुमारी मंदिर से थोड़ी दूरी पर
गायत्री घाट, सावित्री घाट, स्याणु घाट और तीर्थघाट स्थित हैं। माना जाता है कि
तीर्थघाट पर स्नान करने के बाद ही श्रद्धालु मंदिर के अंदर दर्शन के लिए जाते
हैं।
कन्याकुमारी मन्दिर की विशेषता
माना जाता है कि कन्याकुमारी मंदिर
के समीप स्थित तीर्थघाट में स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं तथा
उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं के सारे कष्ट
मिट जाते है तथा उनका जीवन धन्य हो जाता है।
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