रामनाथ स्वामी का प्रसिद्ध मंदिर
रामेश्वरम में स्थित है। यह हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
यह मंदिर शिव के बारह
ज्योतिर्लिंगों में से एक है और ग्यारहवें स्थान पर आता है।
यह मंदिर भगवान को समर्पित
है। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग के संबंध में कई कथाएं लोगों के बीच
प्रचलित है।
रामनाथ स्वामी मंदिर से जुड़ी एक कथा
(Story of Ramanathaswamy Temple)
एक पौराणिक कथा के अनुसार रावण का वध
कर लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम कुछ समय के लिए रामेश्वरम में
रुके। रामेश्वरम में श्री राम और माता सीता ने शिव जी का आराधना की। माना जाता है
कि राम जी ने हनुमान जी को शिवलिंग लाने को कहा परंतु देर होने के कारण उन्होंने
सीता जी द्वारा बनाए गए बालू के शिवलिंग की ही पूजा कर ली। इस शिवलिंग को रामनाथ
लिंगम के नाम से जाना जाता है।
परंतु जब हनुमान जी शिवलिंग लेकर आए
तो वह यह देखकर बहुत निराश हुए। तब राम जी ने हनुमान जी का मन रखने के लिए उस
शिवलिंग को भी यहां स्थापित किया। जो शिवलिंग हनुमान जी लेकर आए थे उसे
विश्वनाथ, काशीलिंगम और हनुमानलिंगम भी कहा जाता है। इस शिवलिंग की पूजा के
बिना रामनाथ स्वामी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
रामनाथ स्वामी मंदिर में रामनाथ
लिंगम और विश्वनाथ लिंगम से जुड़ी कई अन्य कथाएं भी प्रचलित हैं। एक अन्य मान्यता
के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था।
रामनाथ स्वामी मंदिर का महत्व
(Importance of Ramanathaswamy Temple)
रामनाथ स्वामी मंदिर के बारे में
मान्यता है कि यहां स्थित अग्नि तीर्थम में जो भी श्रद्धालु स्नान करता है उसके
सारे पाप धुल जाते हैं। इस तीर्थम से निकलने वाले पानी को चमत्कारिक गुणों से
युक्त माना जाता है। कहा जाता है कि इस पानी में नहाने के बाद सभी रोग−कष्ट दूर हो
जाते हैं। इसके अलावा इस मंदिर के परिसर में 22 कुंड है जिसमें श्रद्धालु पूजा से
पहले स्नान करते हैं। हालांकि ऐसा करना अनिवार्य नहीं है।
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