'विष्णु पुराण' समस्त पुराणों में
सबसे छोटे आकार किन्तु वैदिक काल का महत्त्वपूर्ण पुराण माना जाता
है।
इसकी भाषा साहित्यिक
व काव्यमय गुणों से भरपूर है। 'विष्णुपुराण’ में लगभग तेईस हजार श्लोक हैं।
विष्णु पुराण के भाग (Parts of
Vishnu puran in Hindi)
विष्णुपुराण छः भागों या अंशों में
विभाजित है जो इस प्रकार हैं:
· प्रथम अंश:
‘विष्णुपुराण’ के प्रथम अंश में सर्ग और भू-लोक का उद्भव, काल का स्वरूप तथा
ध्रुव, पृथु व भक्त प्रह्लाद का विवरण दिया गया है।
· द्वितीय अंश: द्वितीय अंश में तीनों-लोक के स्वरूप, पृथ्वी के नौ खण्ड, ग्रह नक्षत्र, ज्योतिष व अन्य का वर्णन किया गया है।
· तृतीय अंश: तृतीय अंश में मन्वन्तर, ग्रन्थों का विस्तार, गृहस्थ धर्म और श्राद्ध विधि आदि का महत्त्व बताया गया है।
· चतुर्थ अंश: चतुर्थ अंश में सूर्य व चन्द्रवंश के राजा तथा उनकी वंशावलियों का वर्णन किया गया है।
· पंचम अंश: पंचम अंश में भगवान श्री कृष्ण के जीवन चरित्र की व्याख्या की गई है।
· छठा अंश: छठे अंश में मोक्ष तथा समाप्ति का विवरण देखने को मिलता है, जो हिन्दू धर्म का परम लक्ष्य होता है।
· द्वितीय अंश: द्वितीय अंश में तीनों-लोक के स्वरूप, पृथ्वी के नौ खण्ड, ग्रह नक्षत्र, ज्योतिष व अन्य का वर्णन किया गया है।
· तृतीय अंश: तृतीय अंश में मन्वन्तर, ग्रन्थों का विस्तार, गृहस्थ धर्म और श्राद्ध विधि आदि का महत्त्व बताया गया है।
· चतुर्थ अंश: चतुर्थ अंश में सूर्य व चन्द्रवंश के राजा तथा उनकी वंशावलियों का वर्णन किया गया है।
· पंचम अंश: पंचम अंश में भगवान श्री कृष्ण के जीवन चरित्र की व्याख्या की गई है।
· छठा अंश: छठे अंश में मोक्ष तथा समाप्ति का विवरण देखने को मिलता है, जो हिन्दू धर्म का परम लक्ष्य होता है।
विष्णुपुराण के मुख्य संदेश
(Teachings of Vishnu Puran in Hindi)
विष्णुपुराण में स्त्री, साधु व
शूद्रों के कर्मों आदि का वर्णन किया गया है। इस पुराण में विभिन्न धर्मों,
वर्गों, वर्णों आदि के कार्य का वर्णन है और बताया गया है कि कार्य ही सबसे प्रधान
होता है। कर्म की प्रधानता जाति या वर्ण से निर्धारित नहीं होती। इस पुराण में कई
प्रसंगों और कहानियों के माध्यम बड़े स्तर पर यही संदेश देने का प्रयास किया गया
है।
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