हम इसका उत्तर अवश्य देंगे और इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए ये विष्णु भगवान की कहानी को अंत तक ज़रूर पढ़े.
भगवान श्री राम का तेज़ और सुंदरता इतनी ज़्यादा थी कि महिलाएं उनकी तरफ आकर्षित हो जाती थी. एक बार माता सीता ने भगवन राम जी को वन में ले जा कर एक पेड़ से बांध दिया क्यूंकि वो अपने राम को किसी दूसरे के साथ बांटना नहीं चाहती थी. ये माता सीता की ईर्ष्या थी लेकिन इसमें सच्चा प्रेम ही था
एक बार भगवान श्री कृष्ण गोपी का रूप धारण कर राधा के पास आये थे. उस वक़्त राधा का पाँव बहुत पीड़ा कर रहा था और श्री कृष्ण जी ने राधा के पैर खुद दबाये थे और राधा का दुःख दूर किया था. क्या श्री कृष्ण की महिमा इससे कम पड़ गयी, बिलकुल नहीं. ये तो सच्चा प्यार था.
भगवान की कहानी
उसी तरह जब जब पारवती माँ ने काली का रूप धारण कर लिया था तो महादेव को ज़मीन पर लेटना पड़ा और जब काली माँ ने महादेव की छाती पर पर अपना पाँव रखा तब ही वे शांत हुई थी. क्या एक पत्नी का अपने पति के साथ ऐसा व्यव्हार करने से उनमे प्यार कम हो गया, जी नहीं, बिलकुल नहीं. वो तो विधि का विधान था. महादेव ने ये इस सृष्टि को बचाने के लिए किया था और इससे उनके प्यार में कोई फर्क नहीं पड़ा.
उसी तरफ भगवन विष्णु जी की पत्नी का अपने पत्नी के चरणों में बैठना भी सच्चा प्रेम है. ये सिर्फ प्रेम नहीं बल्कि माँ लक्ष्मी का इस सृष्टि के प्राणियों को एक सन्देश भी है.
वो सन्देश ये है कि अगर मानव अपने भगवन विष्णु को पाना चाहते है तो उसका एकमात्र मार्ग है उनके चरण. अगर कोई भक्त अपने भगवन का प्यार पाना चाहता है तो उसे अपने आप को पूरी तरह विष्णु जी को अर्पित करना पड़ेगा और उसका मार्ग तो केवल भगवन के चरणों से ही शुरू होता है.
इस सृष्टि के सभी प्राणियों को माता लक्ष्मी यही बताना चाहती है कि चाहे जितना भी धन, वैभव और शौर्य कमा लो, अगर तुम्हारे नाथ तुम्हारे साथ नहीं तो सब व्यर्थ है.
अर्थार्त अपने भगवान् की सेवा अर्चना करने से ही हमें सम्पूर्ण ख़ुशी मिलेगी और इस धरती पर हमारा जीवन सफल होगा.
बोलो लक्ष्मी नारायण की जय !
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