google-site-verification=NjzZlC7Fcg_KTCBLvYTlWhHm_miKusof8uIwdUbvX_U पौराणिक कथा: ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग

Saturday, May 25, 2019

ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग

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देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर तीर्थ (Shri Omkareshwar Jyotirling) अलौकिक है। यह तीर्थ नर्मदा नदी के किनारे विद्यमान है। नर्मदा नदी के दो धाराओं के बंटने से एक टापू का निर्माण हुआ था जिसका नाम मान्धाता पर्वत पड़ा। आज इसे शिवपुरी भी कहा जाता है। इसी पर्वत पर भगवान ओंकारेश्वर और परमेश्वर विराजमान हैं। ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के निकट ही एक परमेश्वर (जिसे लोग अमलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहते हैं) है। इन दोनों ज्योतिर्लिंगों की गिनती एक ही ज्योतिर्लिंग के रूप में की जाती है।
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व (Importance of Shri Omkareshwar Jyotirling
कहते हैं जो मनुष्य इस तीर्थ में पहुंच कर अन्नदान, तप, पूजा आदि करता है अथवा अपना प्राणोत्सर्ग यानि मृत्यु को प्राप्त होता है उसे भगवान शिव के लोक में स्थान प्राप्त होता है। कहते हैं श्रीओम्कारेश्वर लिंग का निर्माण मनुष्य द्वारा न किया हुआ होकर प्रकृति द्वारा हुआ है।
कथा (History of Shri Omkareshwar Jyotirling)
शिव पुराण के अनुसार विंध्याचल पर्वत की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां शिवलिंग के रूप में विराजमान हुए थे। पूर्वकाल में यहां केवल एक ही शिवलिंग था जो बाद में दो हिस्सों में विभक्त हो गया। एक हिस्सा ओंकार के नाम से और दूसरा परमेश्वर या अमलेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

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