google-site-verification=NjzZlC7Fcg_KTCBLvYTlWhHm_miKusof8uIwdUbvX_U पौराणिक कथा: पद्मनाभ स्वामी मंदिर

Saturday, May 25, 2019

पद्मनाभ स्वामी मंदिर

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श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम शहर में स्थित है। यह मंदिर जगत पालक 

भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों में से एक है। मान्यता है कि 

देश में भगवान विष्णु को समर्पित 108 देशम है और श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर भी उनमें से एक हैं।

श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर का धार्मिक महत्त्व (Religious Significance of Sree PadmanabhaSwamy Temple)
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु की सबसे पहली प्रतिमा इसी स्थान से मिली थी। जिसके बाद इस स्थान पर भगवान का मंदिर बनवा दिया गया। वह दूसरी एक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर प्रकट होकर तीन स्थानों को वैकुंठ कहा और वही विराजमान हो गए। उन्हीं तीन प्रमुख स्थानों में से एक तिरुअनन्तपुरम है।
श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के राजा मार्तण्ड ने करवाया था। इस मंदिर में  द्रविड़ एवं केरल वास्तु कला का मिला जुला प्रयोग देखने को मिलता है। 

श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर में स्थित मूर्ति 
इस मंदिर की एक प्रमुख खासियत है यहां स्थित भगवान विष्णु जी की मूर्ति। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है। इस मूर्ति में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभं' कहा जाता है। इस मूर्ति के कारण ही मंदिर का नाम पद्मनाभ स्वामी पड़ा। एक और चीज जो इस मंदिर को खास बनाती है वह है यहां मौजुद तहखाने। मान्यता है कि मंदिर के संरक्षकों ने लुटेरों से धन की सुरक्षा के लिए कई तिलिस्मी तलघरों में सुरक्षित रखा है, जो आज भी मौजूद है। 
मंदिर में जानें के लिए है विशेष वस्त्र (Special Clothing to Enter The Temple)
श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर में परिवेश के लिए पुरुषों को धोती तथा महिलाओं का साड़ी पहनना अनिवार्य है। मंदिर में प्रवेश के लिए परिधान मंदिर के ही समीप किराये पर दिए जाते हैं। इसके अलावा इस मंदिर की यह खासियत भी है कि इसमें केवल हिन्दू धर्म के लोग ही प्रवेश कर सकते हैं।

मंदिर में होने वाले वार्षिक उत्सव (Annual Festival of The Temple)
मंदिर में एक पवित्र कुंड और दो मंडप है, जो इस मंदिर के महत्त्व को और अधिक बढ़ा देता है। इस मंदिर में हर वर्ष दो महोत्सव मनाए जाते हैं। यह त्यौहार पंकुनी(मार्च-अप्रैल) और ऐप्पसी (अक्टूबर-नवंबर) महीने में मनाया जाता है। इस दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।

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