श्रीमद्भागवत’ पुराण वैष्णव समुदाय
का प्रमुख ग्रन्थ है। भगवान विष्णु से संबंधित श्रीमद्भागवत पुराण में वेदों, उपनिषदों
व दर्शन शास्त्र की व्याख्या विस्तारपूर्वक की गई है। श्रीमद्भागवत पुराण को सनातन
धर्म तथा संस्कृति का विश्वकोष भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत पुराण में बारह वैष्णव
स्कंध, तीन सौ पैंतीस अध्याय एवं अठारह हज़ार श्लोक हैं। हिन्दू धर्म को समझने के लिए
इस पुराण को बेहद अहम माना जाता है।
श्रीमद्भागवत पुराण के भाग (Chapters
of Shreemadbhagvat Puran)
श्रीमद्भागवत पुराण, पुराणों की सूची
में पांचवें स्थान पर हैं। श्रीमद्भागवत पुराण में भगवान विष्णु के अवतारों का
सुंदर वर्णन किया गया है। श्रीमद्भागवत बारह स्कन्धों में विभाजित है, जो निम्न
हैं:
1. ‘श्रीमद्भागवत’ के प्रथम स्कन्ध में भक्तियोग तथा वैराग्य का वर्णन किया गया है। इस महापुराण के उनतीस अध्याय हैं, जिनमें ईश्वर-भक्ति को शुकदेव द्वारा सुनाया गया है।
2. द्वितीय स्कन्ध में प्रभु के विराट स्वरूप, देवताओं की उपासना, गीता का सार, 'कृष्णार्पणमस्तु' व काल विभाजन की विवेचना की गई है।
3. तृतीय स्कन्ध उद्धव तथा विदुर की कथा के साथ प्रारम्भ होता है, तथा भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन मिलता है। इसके अतिरिक्त ब्रह्मा का जन्म, सृष्टि का विस्तार व अन्य की विस्तारपूर्वक विवेचना की गई है।
4. चतुर्थ स्कन्ध में ‘पुरंजनोपाख्यान' अत्यधिक प्रसिद्ध है, जिसमें राजा पुरंजक व भारत की एक सुंदरी की कथा का वर्णन मिलता है। साथ ही राजर्षि ध्रुव तथा पृथु के चरित्र का भी उल्लेख मिलता है।
5. पंचम स्कन्ध में अग्नीध्र, राजा नाभि, ऋषभदेव तथा भरत के साथ-साथ समुद्र, नदी, पर्वत, पाताल व नरक का वर्णन है।
6. षष्ठ स्कन्ध में अजामिल (नारायण के पिता) की व्याख्या, नारायण कवच और पुंसवन व्रत विधि व दक्ष प्रजापति के वंश का वर्णन है, जो मनुष्य, पशु एवं देवताओं के जन्म कथा का बखान करता है।
7. सप्तम स्कन्ध में प्रह्लाद व हिरण्यकश्यिपु के साथ वर्ण, वर्ग तथा धर्म का विवरण दिया गया है।
8. अष्टम स्कन्ध में भगवान विष्णु व गजेंद्र की रोचक कथा का सार मिलता है। इससे अतिरिक्त समुद्र मंथन, वामन अवतार, देव-असुर संग्राम का वर्णन इसी स्कन्ध में दिया गया है।
9. नवां स्कन्ध में भगवान राम व सीता का विस्तारपूर्वक विश्लेषण किया गया है, साथ ही राजवंशों के चरित्र को भी दर्शाया गया है।
10. दशम स्कन्ध में भगवान कृष्ण की अनंत लीलाओं का वर्णन किया गया है।
11. एकादश स्कन्ध में राजा जनक व 9 योगियों के संवादों का वर्णन मिलता है। साथ ही इसी स्कन्ध में यदु वंश के संहार का विश्लेषण किया गया है।
12. द्वादश स्कन्ध में भविष्यकाल के आधार पर राजा परीक्षित व राजवंशों का वर्णन किया गया है। साथ ही विभिन्न कालों, प्रलयों व भगवानों के उपांगों का स्वरूप दर्शाया गया है।
श्रीमद्भागवत पुराण का फल (Benefits
of Shreemadbhagvat Puran)
श्रीमद्भागवत का सम्पादन वेदव्यास जी
द्वारा किया गया है। माना जाता है कि इस पुराण के श्रवण से मनुष्य के समस्त पापों
का नाश होता है। जो मनुष्य श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ सुनता या सुनाता है वह समस्त
पुराण के श्रवण का उत्तम फल प्राप्त करता है।
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